झारखण्ड बजट पर चैंबर का मंतव्य
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पिछले वर्ष की तुलना में इस वित्तिय वर्ष 10.7 फीसदी अधिक बजटीय प्रावधान किया गया है। प्रदेष को वर्ष 2030 तक 10 ट्रिलियन रू0 की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य उत्साहित करनेवाला है। वित मंत्री द्वारा प्रस्तुत बजट सामान्य है, जिसमें व्यापार और उद्योग के विकास हेतु किसी नई योजना को नहीं लाया गया है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था के उत्थान पर सरकार ने अपना ध्यान केंद्रित किया है। राजधानी रांची में नये मेडिकल कॉलेज की स्थापना की बात कही गई है किंतु पूर्व से रिम्स एवं सदर अस्पताल की स्थिति ठीक करने पर ध्यान देनले की जरूरत थी। पर्यटन को उद्योग का दर्जा देना स्वागतयोग्य कदम है। झारखण्ड तसर उत्पादन के क्षेत्र में देष में प्रथम स्थान पर रहा है, आगामी वित्तिय वर्ष में 1500 मिट्रिक टन तसर रेषम के उत्पादन का लक्ष्य उत्साहजनक है। इससे राज्य के बुनकरों, परंपरागत षिल्पियों एवं रेषम उत्पादन से जुडे हुए राज्य के गरीब नागरिकों के लिए रोजगार के अवसर बढेंगे।
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किशोर मंत्री, अध्यक्ष
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संतुलित बजट है। इस वित्तिय वर्ष के बजट के आकार को बढाया जाना तथा 2030 तक झारखण्ड को 10 ट्रिलियन रू0 की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य सरकार की दूरगामी सोच को दर्षाता है। बजट के माध्यम से 20 हजार करोड से अधिक का निवेष आकर्षित करके, एक लाख लोगों को रोजगार देने की प्रतिबद्धता दिखाई गई है किंतु इसमें क्लेरिटी का अभाव है। सरकार ने भी स्वीकार किया है कि उद्योग व्यापार की प्रगति के लिए निर्बाध विद्युत आपूर्ति अति आवष्यक है। हमें उम्मीद है कि अन्य राज्यों की भांति झारखण्ड में भी बिजली वितरण व्यवस्था को प्राईवेटाइज किया जायेगा किंतु बजट में इसका उल्लेख नहीं है।
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परेश गट्टानी, महासचिव
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अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछडा वर्ग और अल्पसंख्यक वर्ग के विद्यार्थियों को उच्च षिक्षा के साथ ही उनके रहने के लिए प्रमुख शहरों में बहुमंजिले मॉडल छात्रावासों के निर्माण करने के माननीय वित मंत्री के वक्तव्य का हम स्वागत करते हैं। इस येजना के प्रभावी होने से राज्य का प्रतिभा पलायन तो रूकेगा ही, इससे हमारे प्रदेष के युवा, प्रदेष के विकास में अपना सकारात्मक योगदान देंगे। सरकार ने बजट के माध्यम से युवाओं के भविष्य की चिंता दिखाई है जो सरकार की दूरदर्षी सोच है। यूनाइटेड किंगडम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन एंड नार्दन आयरलैंड में अवस्थित विष्वविद्यालयों में उच्चस्तरीय षिक्षा के लिए सरकार ने वित्तिय सहायता देने का भी वायदा किया है, जो सराहनीय पहल है।
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राहुल साबू, उपाध्यक्ष
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बजट के आकार को बढाया जाना तथा 2030 तक झारखण्ड को 10 ट्रिलियन रू की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य सरकार की दूरगामी सोच को दर्षाता है। खनिज के पर्याप्त भंडार के महत्व को समझते हुए सरकार ने टूरिज्म डेवलपमेंट पर भी विषेष फोकस किया है। अबुआ आवास योजना के क्रियान्वयन से स्थानीय स्तर पर रियल एस्टेट सेक्टर को बूस्ट मिलेगा। गिरिडीह में हवाई अड्डा के विकास की योजना से स्थानीय पर्यटन को बढावा मिलेगा।
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आदित्य मल्होत्रा, उपाध्यक्ष
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सरकार ने बजट के माध्यम से किसान, स्वास्थ्य, षिक्षा, सडक और रोजगार सृजन के साथ ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए अपनी प्राथमिकताएं तय की है। खेल कूद के क्षेत्र में पदक विजेताओं को सम्मान देने और सूचना प्रोद्योगिकी के लिए पर्याप्त बजटीय आवंटन का निर्णय स्वागतयोग्य है।
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अमित शर्मा, सह सचिव
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टूरिज्म को उद्योग का दर्जा देते हुए अलग से पर्यटन नीति का गठन स्वागतयोग्य है। नेतरहाट को टूरिस्ट डेस्टिनेषन के रूप में विकसित करने हेतु नेतरहाट टूरिस्ट डेवलपमेंट ऑथोरिटी गठित करने से इस क्षेत्र में निजी निवेष को बढावा मिलेगा। हमें उम्मीद थी कि राज्य में व्यापार-उद्योग आयोग का गठन किया जायेगा, जिसका बजट में उल्लेख नहीं होने से थोडी निराषा हुई।
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शैलेष अग्रवाल, सह सचिव
सरकार ने बजट के माध्यम से राज्य की आर्थिक प्रगति का सकारात्मक संदेष दिया है। रिजनल कनेक्टिवीटी में वृद्धि, निर्बाध विद्युत आपूर्ति, इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट, स्वास्थ्य और षिक्षा के क्षेत्र को मजबूत करने के लिए भी पर्याप्त बजटीय अनुषंसा की गई है। योजनाओं के क्रियान्वयन हेतु इसकी नियमित मॉनिटरिंग आवष्यक है।
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ज्योति कुमारी, कोषाध्यक्ष
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सरकार ने बजट के माध्यम से राज्य में औद्योगिकीकरण को गति देने के लिए नये निवेष की प्रतिबद्धता दिखाई है जो राज्य के लिए सुखद संकेत है। बजटीय अनुदान की शत प्रतिषत राषि का उपयोग सुनिष्चित हो, इसकी समीक्षा जरूरी है। क्योंकि केवल फंड एलोकेट कर देना बजट का ध्येय नहीं होना चाहिए।
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विकास विजयवर्गीय, प्रवक्ता
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बजट के माध्यम से सरकार ने राज्य में नये निवेष और रोजगार सृजन की मंषा दिखाई है, जिसका हम स्वागत करते हैं। बेहतर होता कि ये निवेष कैसे आयेंगे, इसपर बजट में स्पष्टता लाई जाती। सिंगल विंडो सिस्टम को अधिक प्रभावी बनाने की आवष्यकता है ताकि निवेषकों का विष्वास बढे। निवेष के लिए परिस्थितियां अनुकूल हों, यह जरूरी है। बजटीय योजनाएं समय से धरातल पर लाई जायें, इसकी नियमित समीक्षा जरूरी है।
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प्रवीण जैन छाबडा, पूर्व अध्यक्ष
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सिंगल विंडो सिस्टम को शुरूआती दिनों में जिस परिकल्पना के साथ लाया गया था वो अच्छी थी किंतु उसका अपेक्षाकृत रिजल्ट उद्यमियों और नई इंडस्ट्री अब तक नहीं देख पा रही है। बजट में स्पेसफिक नहीं है, नये निवेष के लिए रोडमैप का अभाव है। इंडस्ट्री को यदि सरकार ने महत्व दिया है तो बजट में क्लेरिटी होनी चाहिए।
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दीपक मारू, पूर्व अध्यक्ष
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संतुलित बजट है। उद्योग, व्यापार और निवेष को बढावा देने के लिए अन्य जरूरी चीजों पर और अधिक ध्यान देने की आवष्यकता थी। स्पेषल इकोनोमिक जोन बढाना चाहिए था। ईज ऑफ लिविंग को बेहतर बनाने के लिए शहरी विकास के क्षेत्र में राषि बढाई जानी चाहिए थी।
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धीरज तनेजा, पूर्व अध्यक्ष
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ग्रामीण अर्थव्यवस्था और कृषि पर केंद्रित बजट है। अर्थव्यवस्था के सबसे महत्वपूर्ण रीढ छोटे व्यापारी और लघु उद्यमी हैं किंतु बजट में व्यापारियों के उत्थान के लिए कोई स्पष्ट योजना का उल्लेख नहीं है। छोटे व्यापारी जो रोजगार सृजन में बडी भूमिका निभाते हैं, उनके लिए बजट में स्पेषल प्रावधान लाया जाना चाहिए था। सरकार ने नये निवेष की बात भी कही है किंतु बजट मे नीति की कमी दिख रही है।
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संजय अखौरी, कार्यकारिणी सदस्य
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संतुलित बजट है। अबुआ आवास योजना के क्रियान्वयन करना स्वागतयोग्य कदम है किंतु प्रदेष में बालू की पर्याप्त कमी बनी हुई है जिस कारण निर्माण कार्य बाधित हैं। मार्केट में बिल्डिंग मटेरियल के विक्रेता भी चिंतित हैं। सरकार को इस जटिल समस्या का जल्द समाधान करना चाहिए।
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रोहित अग्रवाल, कार्यकारिणी सदस्य
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बजट में टूरिज्म, कृषि, सिंचाई, समाज कल्याण सहित अन्य की दिषा में विषेष रूप से फोकस किया गया है। राज्य में बंद पडे उद्योगों के रिवाइवल हेत प्रोत्साहन पैकेज, स्टार्टअप्स की कठिनाईयों के समाधान और ईओडीबी की दिषा में बजट में कोई उल्लेख नहीं होने से थोडी निराषा हुई है। बजट में आवंटित राषि का उपयोग समुचित ढंग से हो सके, इसकी व्यवस्था पर भी सरकार को चिंतन करने की आवष्यकता है।
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नवजोत अलंग, कार्यकारिणी सदस्य
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