Press Release

Meeting of the committee held at Labour Department, GOJ for determination / revision the rate of Minimum Wages.

  • 14May-2024

    प्रेस विज्ञप्ति (दिनांक :14/05/2024)

    न्यूनतम मजदूरी दर निर्धारण/संशोधन हेतु श्रम विभाग द्वारा गठित समिति की बैठक

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    न्यूनतम मजदूरी की दरों में की गई बढोत्तरी को संशोधित करने के फेडरेशन ऑफ झारखण्ड चैंबर ऑफ कॉमर्स एण्ड इंडस्ट्रीज के आग्रह पर श्रम नियोजन एवं प्रशिक्षण विभाग द्वारा श्रमायुक्त, झारखण्ड की अध्यक्षता में गठित उप समिति की बैठक विभागीय कार्यालय में संपन्न हुई। बैठक में अध्यक्ष किशोर मंत्री के नेतृत्व में झारखण्ड चैंबर ऑफ कॉमर्स के प्रतिनिधिमण्डल ने शामिल होकर, अपना पक्ष रखते हुए देश के विभिन्न राज्यों में प्रभावी न्यूनतम मजदूरी दर की तालिका दिखाते हुए यह स्पष्ट किया कि अन्य राज्यों की तुलना में हमारे राज्य में न्यूनतम मजदूरी की दर काफी अधिक है। चैंबर अध्यक्ष किशोर मंत्री ने कहा कि विकसित राज्यों के समकक्ष हमारे राज्य में दर का निर्धारण किया गया है जो उचित नहीं है तथा इसमें संशोधन की आवश्यकता है। झारखण्ड में किसी भी स्थिति में न्यूनतम मजदूरी की दर में 5 फीसदी से अधिक बढ़ोत्तरी नहीं की जाय। उन्होंने यह भी कहा कि विभाग की चिंता वर्तमान में बढ़ती बेरोजगारी की समस्या के समाधान की होनी चाहिए ताकि लोगों का विकास संभव हो। राज्य में किस प्रकार रोजगार के नये अवसर बढ़ें, इसपर भी चिंतन होना चाहिए।

    प्रतिनिधिमण्डल ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि दिनांक 11.10.2023 को झारखण्ड न्यूनतम मजदूरी परामर्शदातृ पर्षद् की संपन्न बैठक की कार्यवाही रिपोर्ट में इसका स्पष्टतः उल्लेख है कि फेडरेशन ऑफ झारखण्ड चैंबर ऑफ कॉमर्स एण्ड इंडस्ट्रीज द्वारा अपना तर्क प्रस्तुत करते हुए न्यूनतम मजदूरी की दरों में अधिकतम 5 फीसदी तक की ही वृद्धि का प्रस्ताव दिया गया है। चिंतनीय है कि उक्त तिथि के उपरांत न्यूनतम मजदूरी परामर्शदातृ पर्षद् की बैठक का आयोजन किये बिना ही विभाग द्वारा दर में बढ़ोत्तरी का एकतरफा निर्णय लिया गया है। यह भी कहा गया कि न्यूनतम मजदूरी दर, बॉस्केट ऑफ कमोडिटीज़ के प्राइज इवैल्यूएशन से निर्धारित होता है। झारखण्ड़ का बॉस्केट ऑफ कमोडिटीज़ क्या है ? अलग-अलग राज्यों में यह भिन्न-भिन्न हो सकता है तो दूसरे राज्यों का न्यूनमत मजदूरी दर का संदर्भ बिंदु हो सकता है, बेंचमार्क नहीं। क्या झारखण्ड़ सरकार ने न्यूनतम मजदूरी तय करने की पद्वति पर चर्चा की है ?

    महासचिव परेश गट्टानी और कार्यकारिणी सदस्य रोहित पोद्दार ने संयुक्त रूप से कहा कि दर में बढ़ोत्तरी का आधार भी स्पष्ट नहीं किया गया है। प्रस्तावित बढ़ोत्तरी को प्रभावी करने से उद्योग जगत के समक्ष नई चुनौतियां खडी हो जायेंगी तथा कई छोटे-मोटे उद्योग बंद के कगार पर आ जायेंगे जिस कारण बेरोजगारी और बढ़ेगी। स्मरणीय है कि इससे पूर्व न्यूनतम मजदूरी का पुर्ननिरीक्षण दिनांक 1.10.2019 से हुआ था और उसकी अवधि 5 वर्ष की थी जो कि 1 अक्टूबर 2024 को समाप्त होगी। ऐसे में विभाग के पास इन बिंदुओं पर सम्यक विचार के लिए लगभग सात माह का समय शेष है। हमारा प्रयास होगा कि समिति के माध्यम से स्टेकहोल्डर्स के साथ ही श्रमिकों के हित में राज्य में न्यूनतम मजदूरी दर का निर्धारण सुनिश्चित कराया जाय।

    बैठक में सहायक श्रमायुक्त अजीत पन्ना, विभागीय अधिकारी राजेश कुमार, प्रदीप लकडा उपस्थित थे। चर्चाओं के क्रम में इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन के नेशनल प्रोजेक्ट को-ऑर्डिनेटर रंजीत प्रकाश को यह जिम्मेवारी दी गई कि वे नियोजकों और यूनियन संघ के पक्षों पर विचार करके, अपना रिपोर्ट समिति को सौंपे। यह भी निर्णय लिया गया कि विशेषज्ञ रिपोर्ट आने पर पुनः इस समिति की बैठक का आयोजन, कर  निर्णय लिये जायेंगे। 

    विदित हो कि 8 अप्रैल 2024 को चैंबर और विभागीय सचिव के साथ संपन्न हुई बैठक के आलोक में न्यूनतम मजदूरी दर के निर्धारण/संशोधन पर विचार के लिए विभाग द्वारा समिति का गठन किया गया है। यह कमिटी चैंबर के साथ बैठकर अन्य राज्यों की दरों की तुलना और दरों का अध्ययन करने के बाद निर्णय लेगी। आज की बैठक में चैंबर अध्यक्ष किशोर मंत्री, उपाध्यक्ष आदित्य मल्होत्रा, महासचिव परेश गट्टानी, सह सचिव शैलेष अग्रवाल, अमित शर्मा, कार्यकारिणी सदस्य रोहित पोद्दार, आदित्यपुर स्माल इंडस्ट्री एसोसिएशन, जेसिया, रिफ्रैक्टरी एसोसिएशन के प्रतिनिधियों के अलावा यूनियन संघ के पदाधिकारी उपस्थित थे।

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    परेश गट्टानी                                                                                                       विकास विजयवर्गीय

    महासचिव                                                                                                                      प्रवक्ता

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